मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

नन्हीं -सी परी


आप सबके परिवार को नवरात्र की कोटिश: शुभकामनाएँ !
सम्पादक द्वय

डॉ भावना कुँअर

नन्हीं सी परी
गुलाब पाँखुरी सी
आई ज़मीं पे
झूम उठा आँगन
महकी हँसी
रौशन होने लगा
बुझा -सा मन
भर गई फिर से
सूनी वो गोद
प्यारी -सी वो मुस्कान
हरने लगी
मन का सूनापन
लगने लगा
प्यारा अब जीवन
फिर से जागीं
सोई वो तमन्नाएँ
झूमने लगा
नन्हें- से हाथों संग
बन मयूर
झुलसा हुआ मन
दिखने लगीं
दबी संवेदनाएँ
खिलने लगीं
मेरे भी लबों पर
रंग-बिरंगी
कलियों -सी कोमल
हवा सी नर्म
जल -जैसी तरल
रात रानी की
ख़ुशबू से नहाई
नये छंदों से
सुरों को सजाती सी
प्यारी-प्यारी लोरियाँ।
-0-

8 टिप्‍पणियां:

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

नन्ही परी का आगमन भावनात्मक रूप से मन को शान्ति देता है क्योंकि पुत्री के रूप में जैसे अपना ही बचपन लौट आता है. बहुत कोमल और भावुक चोका, बधाई भावना जी.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत मधुर भावना व्यक्त हुई है इस प्यारे से चोका में...मेरी बधाई...।

प्रियंका

Krishna Verma ने कहा…

मृदुल अहसास लिए सुन्दर चोका...बहुत बधाई।

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर कोमल भावनाओं को सुन्दरतम रूप में अभिव्यक्त किया है आपने .....
नन्हीं सी परी
गुलाब पाँखुरी सी
आई ज़मीं पे
झूम उठा आँगन...ऐसी ही होती हैं बेटियाँ ...मन आँगन को महका देने वाली !!

sushila ने कहा…

"प्यारी -सी वो मुस्कान
हरने लगी
मन का सूनापन
लगने लगा
प्यारा अब जीवन
फिर से जागीं
सोई वो तमन्नाएँ
झूमने लगा
नन्हें- से हाथों संग
बन मयूर
झुलसा हुआ मन"

ममता से पगी बहुत ही सुंदर पंक्‍तियाँ और चोका ! भावना जी को बधाई इस सुंदर रचना के लिए !

sushila ने कहा…

इस भावपूर्ण सुंदर चोका के लिए धन्यवाद और बधाई डॉ• भावना कुँअर जी !

amita kaundal ने कहा…

नन्ही सी परी का कोमल स्पर्श आपके इस चोका में बहुत खूबी से उभरा है सुंदर रचना के लिए धन्यवाद और बधाई
सादर,
अमिता कौंडल

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Aap sabhi ka aabhaar...