1-रेनु चन्द्रा माथुर
1
प्यारी चिरैया
तू तिनका- तिनका
नीड़ बनाती
जतन से जोड़ती
तू काहे ना थकती?
2
नीले नभ में
श्वेत कपोत सदा
उड़ते जाएँ
शान्ति संदेश लिये
जन जन फैलाएँ।
3
नारी तुम भी
गीली मिट्टी सी हो ना !
जिस रूप में
चाहो ढल जाती हो
उफ़ भी न करती।
-0-
1
प्यारी चिरैया
तू तिनका- तिनका
नीड़ बनाती
जतन से जोड़ती
तू काहे ना थकती?
2
नीले नभ में
श्वेत कपोत सदा
उड़ते जाएँ
शान्ति संदेश लिये
जन जन फैलाएँ।
3
नारी तुम भी
गीली मिट्टी सी हो ना !
जिस रूप में
चाहो ढल जाती हो
उफ़ भी न करती।
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2- डॉ सरस्वती माथुर
1
उड़ा मन भी
पाखी- सा आकाश में
स्वप्न- से तारे
टिमटिमाते देख
लौटा नहीं नीड में ।
2
संध्या नीड में
लौटे थके परिंदे
तेज हवाएं
जाने कहाँ ले गईं
कोई न जान सका ।
3
रात सितार
बजाता रहा चाँद
चाँदनी बैठी
उनींदी सुनती सी
ख्वाब बुनती रही ।
4
खिले सुमन
तितली के स्पर्श से
रंगीन होके
पंखुड़ियाँ फैलाते
समर्पित हो जाते ।
-0-
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