शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

जीवन- राहें



भावना सक्सेना

जीवन- राहें 
हम पत्थर सम
घिसती जातीं 
अनुभव -लहरें
मन की राहें 
इक कोरा कागज़
अश्रु की  स्याही 
रंग जाती कतरे 
अनंत चाहें 
तूफानी समंदर
स्नेह- कांचन
कर जाए निर्मल
जीवन हो कविता।
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8 टिप्‍पणियां:

Manju Mishra ने कहा…

जीवन- राहें
हम पत्थर सम
घिसती जातीं
अनुभव -लहरें
मन की राहें
इक कोरा कागज़
अश्रु की स्याही

Bahut sundar Bhavna ji...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुय गहन भाव लिए हुये ॥सुंदर रचना

amita kaundal ने कहा…

बहुत सुंदर चोका है सुंदर भावों भरा बधाई,
सादर,
अमिता कौंडल

Krishna Verma ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण चोका...बधाई।

भावना सक्सैना ने कहा…

आदरणीय काम्बोज का आभार, एक नई विधा में पदार्पण कराने के लिए......हृदय से धन्यवाद

मंजू मिश्रा जी, संगीता स्वरुप जी, अमिता कौंडल जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

जीवन दर्शन को सहज सुन्दर रूप में अभिव्यक्त किया आपने ...बहुत बधाई !!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

गहन भावाभिव्यक्ति से भरे इस सुन्दर चोका के लिए बधाई...।
प्रियंका

shashi purwar ने कहा…

bahut sundar abhivyakti .bhavna ji badhai