1
कोई भी छत
प्यार या विश्वास की
सर पर नहीं है ,
बहुत ऊँचा
क़िला आलीशान है,
पर घर नहीं है ।
- डॉ• मिथिलेश दीक्षित
2
भोर का पंछी
आज फिर चुगेगा
रात के बचे दाने,
शाम को लौट
बुनेगा काली रात
फिर उन्हीं दानों से ।
-
डॉ•अनीता कपूर
3
मन की पीड़ा
बूँद -बूँद बरसी
बदरी से जा मिली ,
तुम न आए
साथ मेरे रो पड़ी
काली घनी घटाएँ ।
- डॉ• जेन्नी शबनम
4
उपमेय थी
उपमानों से घिरी
बन गई अन्योक्ति
समझा अब-
तुम रहोगे श्लेष
ढके रूप अनेक ।
-कमला निखुर्पा
5
सुनो ज़िन्दगी
!
तुम एक कविता
मैं बस गाती चली,
रस -घट भी
प्रेम या पीडा़ -भरा
पाया ,
लुटाती चली ।
- डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा
(अलसाई चाँदनी -सेदोका
संग्रह से )
6 टिप्पणियां:
भावपूर्ण व सुंदर सेदोका !
~सादर !!!
प्रत्येक सेदोका खूबसूरत...बधाई
सभी सेदोका भावपूर्ण !!
सभी सेदोकाकारों को हार्दिक बधाई|
bahut badhiya sangrah hai
Sabhi dedoka gahan soch liye huye sabhi ko hardik badhai...
bahut badhiya...hardik badhayi...
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