गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

नदिया भी प्यासी है ( माहिया)



शशि पाधा
1
चहुँ ओर उदासी है
बदली  बरसी ना
नदिया भी प्यासी है
 2
लो बदली बरस गई
  नदिया झूम उठी
  धरती भी सरस गई
3
नयनों में कजरा है
 पाहुन आन  खडा
अलकों में गजरा है
 4
यह कैसी रीत हुई
 जो चितचोर हुआ
 उससे ही प्रीत हुई
 5
कैसी मनुहार हुई
  रूठे माने ना
 दोनों की हार हुई
 6
कागज की नैया है
नदिया गहरी है
अनजान खिवैया है
 7
कोयलिया कूक उठी
 सुर तो मीठे थे
   क्यों मन में हूक उठी
8
  हम रीत न तोड़ेंगे
  बचपन की यादें
  सीपी में जोडेंगे
  9
पुरवा संग आए हैं
 पंछी पाहुन का
 संदेसा लाए हैं  ।
 10
हाथों की रेखा है
 भावी की भाषा
 अनमिट ये लेखा है  
  11
पनघट पर मेले हैं
 पाहुन आए ना
 हम आज अकेले हैं
12
वो राग न पूरा है
तुम जो गाओ ना
वो गीत अधूरा है
13
पूनम की रात हुई
तारों की झिलमिल
चंदा से बात हुई ।
-0-

5 टिप्‍पणियां:

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बहुत ही सुंदर...काव्य और भाव दोनों दृष्टि से...किसी एक को चुनना मुश्किल है...बहुत बहुत बधाई!!

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत ही मोहक माहिया हैं ...एक से बढ़कर एक ...
वो राग न पूरा है
तुम जो गाओ ना
वो गीत अधूरा है ।...... सुन्दर मधुर संगीत सदा सुनने की अभिलाषा के साथ ...सादर ..ज्योत्स्ना

बेनामी ने कहा…

"पुरवा संग आए हैं
पंछी पाहुन का
संदेसा लाए हैं... "
शशि जी बहुत अच्छे माहिया... बधाई !
डॉ सरस्वती माथुर

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Ati sundar bhaav bahut2 badhai...

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण माहिया के लिए बधाई...।
प्रियंका