रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
सर्द सोच में
गुनगुनी धूप -से
रिश्ते अनूप
बचाएँ गर्माहट
ये प्यार की आहट ।
2
नदी की धार
जल चूमते तट
फैला सीवान
पीकर हरियाली
चूम लेता आकाश ।
3
मुझसे जब
कोई दर छूटा है
भीतर छुपा
अनजानी हूक-सा
नन्हा तारा टूटा है ।
4
रिश्ते हैं डोर
बँधी मन-प्राण से
मिलता नहीं
कभी इसका छोर
ढूढ़े धरा -गगन ।
5
नीम की छाँव
जोड़ लेती है रिश्ता
उतरे जब
जीवन -पथ पर
शिखर दुपहरी ।
6
लेन-देन हो
रिश्ते बनते भार
ढोते न बने
झुक जाए कमर
जीवन हो दूभर ।
7
पंछी चहकें
आकर नित द्वार
रिश्ता निभाएँ
मुट्ठी भर दाना पा
मधुर गीत गाएँ ।
8
दो बूँद जल
कटोरी का हैं पीते
बैठ मुँडेर
मधुर गीत गाते
शीतल कर जाते ।
9
खूँटी से बँधी
गैया जब रँभाए,
‘दाना
-पानी दो’-
सन्देसा पहुँचाए
खुशियाँ बरसाए ।
10
गली का सही
पक्का है चौकीदार
दो टूक खाए
मुहल्ला सोता रहे
इसे नींद न आए ।
-0-
8 टिप्पणियां:
सभी ताँका भावपूर्ण...सादर बधाई !!
सभी तांका बहुत ही सुंदर। इसका तो जवाब नहीं -
"मुझसे जब
कोई दर छूटा है
भीतर छुपा
अनजानी हूक-सा
नन्हा तारा टूटा है ।"
लाजवाब !
सभी तांका बहुत सुन्दर। यह तो अनुपम। बहुत बधाई।
मुझसे जब
कोई दर छूटा है
भीतर छुपा
अनजानी हूक-सा
नन्हा तारा टूटा है।
मुझसे जब
कोई दर छूटा है
भीतर छुपा
अनजानी हूक-सा
नन्हा तारा टूटा है ।......बहुत ही सुंदर।.....भावपूर्ण!
Dr Saraswati Mathur
लेन-देन हो
रिश्ते बनते भार
ढोते न बने
झुक जाए कमर
जीवन हो दूभर ।
बहुत खूबसूरत...| सभी तांका बहुत भाए...बधाई...|
प्रियंका
प्रकृति के कण कण से रिश्ते निभाते सभी ताँका बहुत सुन्दर हैं ...बहुत विस्तृत है भाव संसार आपका ...बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद भैया जी !!!
..सादर ज्योत्स्ना
सर्द सोच में
गुनगुनी धूप -से
रिश्ते अनूप
बचाएँ गर्माहट
ये प्यार की आहट.....wah kya khoobsurat ehsaas se buni nazuk si panktiya bahut sundar
सर्द सोच में
गुनगुनी धूप -से
रिश्ते अनूप
बचाएँ गर्माहट
ये प्यार की आहट ।
बहुत ही खूबसूरत एहसास का खूबसूरत शब्दों में वर्णन । हर तांका बहुत ही अच्छा लगा ।
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