1-शशि पाधा
1
जीवन -धूप
कठिन डगर थी
आशीष माँ के
छाया से हर पल
संग -संग चले थे ।
2
माँ -अंगना में
था तुलसी का चौरा
पूजा की थाली
आरती के दीपक
धरती पर स्वर्ग ।
3
रिश्ता अटूट
ममता का आँचल
अखियाँ स्नेही
अधर मीठी लोरी
सारा जग अपना ।
4
कैसी पहेली
उलझी न सुलझी
ऊँची दीवारें
बंट गया अंगना
बस सिसकी थी माँ ।
5
छाया है मौन
कोई कुछ न बोले
गाँठें ना खोले
ममता अकुलाई
मनाने दौड़ी आई ।
-0-
2-डॉ सरस्वती
माथुर
1
एक तरफा
कब तक निभाऊँ
तुम तो छलो
मैं घायल होकर
साथ निभाती जाऊँ ?
2
छोटी -सी बात
अंतर में चुभ के
दर्द है देती
रिश्ते तोड़ करके
नासूर बना देती ।
3
तुम्ही बताओ-
किस पे करें अब
हम विश्वास
कदम कदम पे
देखूँ
विश्वासघात !
4
स्वार्थ के रिश्ते
बोते हो तुम रोज
नई कहानी
बाँच के तुम झूठी
खुद बैर बोते हो !
-0-
3-मंजु गुप्ता
1
सीमा पार से
अजनबी पवन
खिड़की में से
महक लुटा गई
अपना बना गई ।
2
राखी का प्यार
रहेगा माँ आबाद
न मार मुझे
दीदी - भाई के रिश्ते
से है रक्षाबन्धन ।
3
मेघ बरसा
धरती से मिलने
गले लिपट
प्रेमी - प्रेमिका बन
एक दूजे के हुए ।
4
रिश्ता प्रेम का
जगत को जोड़ता
जीवन देता
सीमा बंधन तोड़े
व्यापकता इसमें ।
-0-
4 टिप्पणियां:
shashi ji aapke tanka ek se badhkar ek sabhi paksh uker gaye
saraswati ji dard chubhan , har rang man ko bha gaya
manju ji , sabhi tanka abahut pasand aaye ...aap sabhi ko hardik badhai
रिश्तों की विविधता को अभिव्यक्त करते बहुत सुन्दर ताँका हैं सभी ..
आ शशि पाधा जी ,मंजु जी एवं सरस्वती जी बहुत बधाई ..!!
एक माँ के लिए कितना दुखद होता है जब ऐसी परिस्थिति सामने आती है. बहुत गहन भाव...
कैसी पहेली
उलझी न सुलझी
ऊँची दीवारें
बंट गया अंगना
बस सिसकी थी माँ ।
औरत का घायल मन...क्या ये सवाल कर सकता... बहुत गहरे भाव...
एक तरफा
कब तक निभाऊँ
तुम तो छलो
मैं घायल होकर
साथ निभाती जाऊँ ?
प्रेम का रिश्ता हर बंधन से परे है...बहुत सुन्दर भाव...
रिश्ता प्रेम का
जगत को जोड़ता
जीवन देता
सीमा बंधन तोड़े
व्यापकता इसमें ।
शशि जी, सरस्वती जी और मंजू जी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ.
खूबसूरत...बहुत प्यारे तांका हैं...बधाई..|
प्रियंका
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