डॉ सुधा गुप्ता
1
चिन्तित
रात
सर्दी न
खा जाएँ ये
शैतान
बच्चे तारे
ऊँचे
पलंग
कोहरे का
कम्बल
ओढ़ा के
बिठा दिया ।
2
अलसा गया
दिन का
मज़दूर
धूप की
ताड़ी पीके
औचक ही आ
अँधेरा
छीन भागा
सारी
कमाई लेके ।
3
वधूटी सन्ध्या
सूरज को
यों भाई
जल्दी घर
खिसका
विलम रहा
चाशनी-डूबी
बातों
अबेर से
निकला ।
4
तापसी
भोर
उदास
एकाकिनी
राम-राम
जपती
मुँह
अँधेरे
हिम
-कथरी ओढ़
गंगा
नहाने चली ।
5
हेमन्त
आया
धूप हुई
चन्दन
सब माथे
लगाएँ
जड़ -चेतन
सूरज ने
रिखाए
सब सिर
चढ़ाएँ ।
-0-
4 टिप्पणियां:
सुन्दर बिम्ब प्रस्तुत करते मनमोहक सेदोका ....
तापसी भोर
उदास एकाकिनी
राम-राम जपती
मुँह अँधेरे
हिम -कथरी ओढ़
गंगा नहाने चली ।......भोर तपस्विनी का बहुत सुन्दर चित्र सामने उतर आया ...!!बधाई और धन्यवाद दीदी !!
सादर ...ज्योत्स्ना शर्मा
एक से एक बढ़ कर मोहक सेदोका...बहुत बधाई सुधा जी
Jvaab nahi sudha ji ka to gahan soch ke dariya se nikale bhaav hain ....bahut2 badhai...
इतना सुन्दर मानवीकरण...अप्रतिम...|
सब एक से बढ़ कर एक...आभार और बधाई...|
प्रियंका
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