1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
अरे सूरज !
जाने कहाँ खो गया
शीत सिहरा
कोहरे की चादर
ओढ़कर सो गया ।
2
दो मुठ्ठी धूप
छिड़की यहाँ -वहाँ
मेघ -रजाई
छिप के पूछे रवि-
बूझो तो मैं हूँ कहाँ ?
3
तुषार बिंदु
टप टप टपके
फूल पांखुरी
भोर की पलकों पे
ज्यूँ हों मोती अटके ।
-0-
2-अनिता ललित
1
सर्द
मौसम,
ठिठुरते
हैं जिस्म,
देखो
ईश्वर!
कँपकपाते
हाथ।।।
ढूँढे
तेरा निशान।।!
2
शीत -
लहर,
ढाए कैसा
कहर
बेबस हुआ
ग़रीब का आँचल
तपे, ठंडी आस में !
3
सर्दी की
धूप,
तेरी
यादों के जैसी
गुनगुनाती
रोम-रोम
को मेरे,
झंकृत कर
जाती !
4
छाया
कोहरा,
सर्द
आहें भरते,
बेबस सभी
!
खुदा
तेरी आस के,
जलते
अलाव हैं !
5
सर्दी
क़हर !
रात बहुत
भारी !
दिन भी
रोया !
गरीब जो
सोया, तो
खुली ही
रहीं आँखें !
-0-
7 टिप्पणियां:
सर्दी की गुनगुनी धूप जैसे बहुत सुन्दर ताँका ...बधाई अनिता जी
तुषार बिंदु
टप टप टपके
फूल पांखुरी
भोर की पलकों पे
ज्यूँ हों मोती अटके।
ज्योत्स्ना जी बहुत सुन्दर ताँका
सर्दी क़हर !
रात बहुत भारी !
दिन भी रोया !
गरीब जो सोया, तो
खुली ही रहीं आँखें!
बहुत खूब कहा अनीता जी
बहुत आभार ...Krishna Verma ji
ज्योत्स्ना जी ... सभी ताँका बहुत खुबसूरत !:-)
मेरे ताँका को सराहने के लिए हार्दिक धन्यवाद !:)
~सादर!!!
कृष्णा वर्मा जी ... सराहना के लिए लिए हार्दिक धन्यवाद !:)
~सादर!!!
दो मुठ्ठी धूप
छिड़की यहाँ -वहाँ
मेघ -रजाई
छिप के पूछे रवि-
बूझो तो मैं हूँ कहाँ ?
बहुत बढ़िया...|
सर्दी क़हर !
रात बहुत भारी !
दिन भी रोया !
गरीब जो सोया, तो
खुली ही रहीं आँखें !
मार्मिक...|
दोनों को बधाई...|
प्रियंका
bahut bahut aabhaar ...priyankaa ji
saadar
jyotsna sharma
एक टिप्पणी भेजें