माहिया
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत बदली बदली है
अपना राज लगे
अपनी -सी ढपली है ।
2
हम फिर से गाएँगे
बीत गए बरसों
वो फिर से आएँगे ।
3
है धूप कहीं छाया
हम तो हैं उनके
जाना , फिर तरसाया ।
4
अँखियाँ ये तरस गईं
कल घनघोर घटा
यादों की बरस गई ।
5
हम तुमको जान गए
पानी में चन्दा
हम सच पहचान गए ।
6
तेरे हो जाएँगे,
बस इक बार कहो
वरना खो जाएँगें ।
7
वो दिन अब किधर गए !
मन की माला के
सब मनके बिखर गए ।
8
सपना है प्यारा -सा
चमके ये जीवन
बनके ध्रुव तारा -सा ।
9
वो दिन कब के गुजरे
बिटिया अब माँ के
नयनों में ज्योत भरे ।
10
हक हमको पाने हैं
इतना याद रहे
कुछ फ़र्ज़ निभाने हैं ।
8 टिप्पणियां:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा 14/12/12,कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
बहुत प्यारा माहिया लिखा है बधाई आपको
सभी माहिया अत्यंत मनभावन। आप बहुत सुंदर लिखती हैं।
बधाई डॉ ज्योत्स्ना शर्मा !
हम फिर से गाएँगे
बीत गए बरसों
वो फिर से आएँगे ।
ummid se labrej bhav
badhai
rachana
बहुत सुन्दर...बधाई...|
namaskaar jyotsana ji
sabhi mahiya bahut acche lage
2
हम फिर से गाएँगे
बीत गए बरसों
वो फिर से आएँगे ।
3
है धूप कहीं छाया
हम तो हैं उनके
जाना , फिर तरसाया ।
4
aa Rajesh kumari ji ,Sushila ji ,Rachana ji ,priyankaa ji evam Shashi purwar ji ..आपके इस सहज स्नेह के लिए ह्रदय से धन्यवाद ...!!
बहुत सुन्दर...बधाई...|
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