तुहिना रंजन
सोंधी मिट्टी - सा
मेरा पहला प्यार
कुछ शर्माता
कजरारी आँखों में
स्वप्न दे जाता,
इंद्रधनुषी रंग
खिलखिलाते
हाथों में हाथ लिये
चलते जाते ,
एक दूजे के संग
गुम हो जाएँ
चलो हम तुम भी
रूठें - मनाएँ,
सुनेंगे चुपचाप
खामोश बातें
सोने के दिन होंगे
चाँदी की रातें ,
कुछ न
चाहें अब
जी लेंगे हम
बस उस पल में
ना कोई धर्म,
जहाँ न कोई रस्में
दिल का रिश्ता
जुड़े जहाँ ऐ यार !
हमें चाहिए
ऐसे ही कुछ लोग
ऐसा बस संसार !
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2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर...बधाई तुहिना जी...|
प्रियंका
tuhina ji apka likha choka pyar ki gahraion ko chu raha hai. badhai.
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