बुधवार, 25 सितंबर 2013

मधुर बानी

भावना सक्सेना

मधुर बानी
जग ने पहचानी
ये ओजस्विनी
भू के कोने -कोने में
सरसे भाव
लहरा पताका,
फैल विश्व की
हृदय-तंत्रियों में
हरे अज्ञान
भाव पिरो शब्दों में
बाँधे बंधन
सींचे जीवन धन
करे मन कंचन ।

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6 टिप्‍पणियां:

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर चोका भावना जी.....बधाई!

Anupama Tripathi ने कहा…

सुन्दर चोका भावना जी.....!
शुभकामनायें ।

Reply

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

"..................................भाव पिरो शब्दों में/ बाँधे बंधन / सींचे जीवन धन / करे मन कंचन ।" भावना जी ! बहुत सुन्दर चोका .....बधाई !

Manju Gupta ने कहा…

बढ़िया .

बधाई

shashi purwar ने कहा…

sundar bhavna ji ,badhai

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...बधाई भावना जी !