1-ज्योत्स्ना प्रदीप
1.
दीप की छाया
दीप की छाया
यूँ
जीती है जीवन
आलोक की छुअन
कभी तो मिले
निरंतर तितिक्षा
अंतहीन प्रतीक्षा ।
2
तुम्हारी छाया
मुझ तक आकर
बनी प्रेम-सागर,
ज्वार या भाटा
या हों
मोती अपार
तुझमे ही संसार॥
3
ओ मेरी छाया !
तेरे ललाट पर
संस्कार -धरोहर
प्रफुल्लित हो
मनाये ज्योति-पर्व
तू ही तो मेरा गर्व ।
4
सिन्दूरी-छाया
मेरी माँ के सीमंत
सुख-राशि अनन्त,
चली क्यों गई ?
छूटा शृंगार-कंत
बसंत बना संत ।
-0-
2-डॉñसरस्वती माथुर
1
अँधेरे देख
अस्तित्व तलाशती
सिमटी परछाई
अंतर्धान हो
जीवन संगिनी -सी
साथ निभाने आई l
२
आँख- मिचौली
अँधेरे देख
अस्तित्व तलाशती
सिमटी परछाई
अंतर्धान हो
जीवन संगिनी -सी
साथ निभाने आई l
२
आँख- मिचौली
अँधेरी सुरंगों में
धूप छाया की देखी
टिमटिमाते
उड़ते जुगुनू की
रोशन काया देखी l
धूप छाया की देखी
टिमटिमाते
उड़ते जुगुनू की
रोशन काया देखी l
3
झील में छाया
चाँद की देखी तो
चांदनी भी बौराई
तम पीकर
रात की लहरों को
चूड़ियाँ पहनाई l
4
सुबह -शाम
साथ -साथ चलती
मीत- सी परछाई
सुख- दुःख की
डगमग नैया में
अस्तिव बन छाई l
5
चाँद की देखी तो
चांदनी भी बौराई
तम पीकर
रात की लहरों को
चूड़ियाँ पहनाई l
4
सुबह -शाम
साथ -साथ चलती
मीत- सी परछाई
सुख- दुःख की
डगमग नैया में
अस्तिव बन छाई l
5
सच की कुछ
परछाइयाँ देखी
झूठ के हाशिये पे
रहस्य भरी
यथार्थ की असंख्य
गहराइयाँ देखी l
-0-
3-सुनीता अग्रवाल
1
1
जीवन -यात्रा
तपता मरुस्थल
मृगतृष्णा का खेल,
थका पथिक
नागफनी- वन में
तलाश रहा छाया ।
2
मुखौटे ओढ़े
भागते हुए लोग
अजनबी शहर,
इन्हीं में कहीं
मुझसे रूठ बैठी
मेरी ही परछाई ।
-0-
तपता मरुस्थल
मृगतृष्णा का खेल,
थका पथिक
नागफनी- वन में
तलाश रहा छाया ।
2
मुखौटे ओढ़े
भागते हुए लोग
अजनबी शहर,
इन्हीं में कहीं
मुझसे रूठ बैठी
मेरी ही परछाई ।
-0-
5 टिप्पणियां:
sampadak mandal ka haardik aabhar in sundar bhawpurn rachnayo me keri rachna ko sthan dene ke liye ....
jyotsna ji dr.mathur ji haardik badhayi ..bahut hi khubsurat rachnaye hai ..chhaya sabd ke wibhinn bimbo ko ujagar karti huyi ..
uprokt sabhi sedokakaron ke sedoka chhaya ke vividh roopon se saje hain.badhai.
pushpa mehra.
सभी भावपूर्ण सुन्दर सेदोका.....बहुत-२ बधाई!
ढेर सारी दुआए हिमांशु भाईसाहब व हरदीप जी को,
अपनी स्नेहिल छाया मे मेरे भावों की छाया को स्थान देने के लिये |
सरस्वती जी और सुनीता जी को इतने उत्कृष्ट सेदोके लिखने के लिये बहुत सारी बधाई !!!!!
सभी सेदोका बहुत सुन्दर ...
दीप की छाया ,अस्तित्व तलाशती तथा मुखौटे ओढ़े.. बहुत अच्छे लगे ...हार्दिक बधाई आप सभी को !
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