डॉ सतीशराज पुष्करणा
1
तूफ़ानों से क्या भागे
जो लेटा हरदम
शीत लहर के आगे ।
2
कैसे भी घेरें तम
दीया एक जला
टल जाएगा हर गम ।
3
जो गाल बजाते हैं
जीवन में भी वो
कुछ कर ना पाते हैं ।
4
कोशिश हमने की थी
चोटी को छू लें
राह भले टेढ़ी थी ।
5
कैसे भूलूँ उसको
भीगी आँखों से
देखा जिसने मुझको
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4 टिप्पणियां:
कैसे भी घेरें तम
दीया एक जला
टल जाएगा हर गम ।....सुन्दर भावों का उजाला फैलाते मधुर माहिया ....हार्दिक बधाई ...नमन !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बढ़िया रचना .
बधाई
बहुत खूब..
वैसे तो सभी माहिया बहुत प्रभावी हैं, पर ये दोनों खास तौर से भाए...
कैसे भी घेरें तम
दीया एक जला
टल जाएगा हर गम ।
कोशिश हमने की थी
चोटी को छू लें
राह भले टेढ़ी थी ।
हार्दिक बधाई...|
प्रियंका
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