शशि पाधा
अनचीन्ही पात झड़ी
धरती के अँगना
पतझड़ क्यों आन खड़ी।
2
कैसी मनमानी है
तेज़ हवाओं ने
भृकुटी क्यों तानी है ।
3
तरुवर चुपचाप खड़े
बदले मौसम के
तेवर से कौन लड़े।
बगिया हैरान हुई
सूनी डाली से
पहली पहचान हुई ।
5
यह पीड़ा कौन सहे
तरुवर ठूँठ हुए
पाखी से कौन कहे ।
6
कुछ भेद छिपाती है
धूप सहेली भी
अब रोज़ न आती है |
हर डाली पीत हुई
सावन हार गया
पतझड़ की जीत हुई |
8
कोयल क्या ढूँढ़ रही
सूनी डाली पे
कोई ना गूँज रही
9
वो बात पुरानी थी
चूनर सतरंगी
चोली भी धानी थी |
10
डाली से पात झरे
अब कब लौटेंगे
वो दिन पुखराज जड़े |
-0-
10 टिप्पणियां:
तरुवर चुपचाप खड़े
बदले मौसम के
तेवर से कौन लड़े।
bahut sunder shashi ji aapto sada hi man ko chhune wala likhti hain
bahut bahut badhai
rachana
सभी माहिया बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई शशि जी.
हर डाली पीत हुई
सावन हार गया
पतझड़ की जीत हुई |
बहुत भावप्रबल ....पतझड़ पर सभी माहिया शशि जी ... .....!!
" कुछ भेद छिपाती है / धूप सहेली भी / अब रोज़ न आती है | "
सभी माहिया बहुत सुन्दर और भावपूर्ण | शशि जी, बहुत- बहुत बधाई !
एक से बढ़कर एक माहिया ......एक अलग कथा कहते हुए .....
कुछ भेद छिपाती है
धूप सहेली भी
अब रोज़ न आती है |
बगिया हैरान हुई
सूनी डाली से
पहली पहचान हुई ।.....बहुत सुन्दर !!
सादर नमन !
खूबसूरत माहिया के लिए बहुत बधाई...|
प्रियंका
खूबसूरत माहिया के लिए बधाई...|
प्रियंका
बहुत खूबसूरत माहिया शशि जी बधाई !
shashi ji bahut sundar mahiya hai aapke waah sabhi acche lage hardik badhai
Very interesting
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