शनिवार, 14 सितंबर 2013

मेरा पहला प्यार

तुहिना रंजन

सोंधी मिट्टी सा  
मेरा पहला प्यार  
कुछ शर्माता  
कजरारी आँखों में  
स्वप्न दे जाता,  
इंद्रधनुषी  रंग  
खिलखिलाते  
हाथों में हाथ लिये  
चलते जाते
एक दूजे के संग  
गुम हो जाएँ  
चलो हम तुम भी  
रूठें मनाएँ,  
सुनेंगे चुपचाप  
खामोश बातें  
सोने के दिन होंगे  
चाँदी  की रातें
कुछ न चाहें अब 
जी लेंगे हम  
बस उस पल में  
ना  कोई धर्म,  
जहाँ न कोई रस्में  
दिल का रिश्ता  
जुड़े जहाँ ऐ यार ! 
हमें चाहिए  
ऐसे ही कुछ लोग  
ऐसा बस संसार  !

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2 टिप्‍पणियां:

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर...बधाई तुहिना जी...|
प्रियंका

Pushpa mehra ने कहा…

tuhina ji apka likha choka pyar ki gahraion ko chu raha hai. badhai.