शनिवार, 29 दिसंबर 2012

दर्द -भरी कहानी



-डॉ भावना कुँअर

मासूम परी
जो जीना चाहती थी,
बनी शिकार
वहशी दरिन्दों का
जूझती रही
जिंदगी व मौत से
लड़ती रही,
आखिरी तक
खामोश थी ज़ुबान
कह रही थीं
मासूम वो पलकें
अनकही सी
दर्द -भरी कहानी
छोड़ रहा था
शरीर अब साथ
बुलंद रहा
हौसला जीवन का
बुझ ही गई
जीवन की वो जोत
गूँजने लगी
माँ की भी सिसकियाँ
कुचले देख
नन्हीं परी के पंख ।
सूना हो गया
पिता का वो आँगन
चहकती थी
सोन चिरैया जहाँ।
आँसू से भरी
आँखिया निहारती
सूनी कलाई
कानों में गूँजती हैं
बेबस चीखें
दर्द और पुकार।
चारों तरफ फैला
सहमा हुआ
आँसुओं का सैलाब
कैसी ज़ुदाई,
अपनी जमीं फिर
खून से है नहाई।
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13 टिप्‍पणियां:

sushila ने कहा…

बहुत ही भावप्रवण, मर्म कॊ छूता चोका ! अति सुंदर।

बेनामी ने कहा…

मर्म कॊ छूता चोका !भावना जी बहुत अच्छा चोका ! आज सभी का दिल उदास है, मेरी कलम भी खून के आंसू रो रहीं हैं !

डॉ सरस्वती माथुर

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

भावना जी आँखें नम कर दीं ....

Rachana ने कहा…

uf sajiv chitran
rachana

Krishna Verma ने कहा…

मर्मस्थल बेंधती भावपूर्ण रचना।
भावना जी बधाई।

Manju Mishra ने कहा…

Aansuon me bheegi shraddhanjali !

Manju
manukavya.wordpress.com

Manju Gupta ने कहा…

दामिनी की व्यथा व्यक्त करते हुए सुंदर चौका .

सीमा स्‍मृति ने कहा…

कटु सत्‍य व्‍यक्‍त करता चौका । ये व्‍यथा संपूर्ण स्‍त्री जाति की व्‍यथा है। आज सभी जुड़ सके क्‍योंकि ये दर्द सभी के अन्‍दर प्रवाहित हुआ।

सीमा स्‍मृति ने कहा…

भावों भरा और कटु सत्‍य व्‍यक्‍त करता सुन्‍दर चौका ।

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

भावनाजी आपकी रचना ने रुला दिया |

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत मार्मिक...|

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत मार्मिक !
आपकी रचनाएँ दिल की गहराई तक उतर जातीं हैं भावना जी !
~सादर!!!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Aap sabka bahut2aabhaar, ye dard hi kuch aisa hai ki jo dilodimaag par chhaakar uthal-puthal kar gaya,jo dard dil tak pahuch jaaye vo rulaata to hai hi..kalam bhi ro jaati hai...kaash aisa na hua hota...